V.S Awasthi

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हरियाली तीज




हरियाली तीज
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सावन की घटा निराली है
धरती में भी हरियाली है
सखियां सज धज कर आई हैं
खुशी से सब मतवाली हैं

सखियां झूला झूल रहीं
गीत मल्हार भी गाती हैं
ऊंची ऊंची पैंग बढ़ा
आपस में खुब इठलाती हैं

कुछ ससुराल से आई हैं
कुछ घर में ही इतराई हैं
सगुन मनाने भाई संग
भइया को मिठाई लाई हैं

घर के आंगन में खुशियों की
सुन्दर बारात भी आई है
अम्मा, बप्पा, भइया, भाभी
क्या प्रीति की रीति निभाई है

बारात का भी पंडाल सजा
बगिया में खुशियां छाई हैं
रंग बिरंगे कपड़ों में
सखियां भी सज कर आई हैं

मन्दिरों में शिव और गौरी का
सखियों ने खुब श्रंगार किया
भोले समान पति को मांगा
गौरी से सुहाग आशीष लिया

हरियाली तीज सदा आये
मां गौरी से ये मांग रही
मैं सदा सुहागन रहूं हे मां
पति की उम्र भी माग रहीं
                 स्वरचित:-
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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10 Comments

Rahman

30-Jul-2022 10:37 PM

Nyc

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Gunjan Kamal

30-Jul-2022 12:57 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Khan

29-Jul-2022 11:26 PM

Nice

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